Bharat Gaurav Gaan (Chalisa)

Bharat Gaurav Gaan is a collection of 40 poetries, each dedicated to one of a Bharat Gaurav. The poetry was written was Jagadish Chandra Pravaasi.

Brahmachaari Arun Kumar Aryaveer has produced and sung this song. Kapil Gupta has given the music.

Lyrics:

भारत गौरव गान या भारत चालीसा

स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”

 

1- हिमालय

है भू-मण्डल में भारत देश महान।

जहां खड़ा गिरिराज हिमालय मही मुकुट उत्तुंग उतान।

अपने उज्जवल मुख-मण्डल से चूम रहा है गगन वितान।।

जो है सकल जड़ी, बूटी, फल, फूल, लता औषध रस-खान।

दृश्य स्वर्गमय सुन्दर मनहर जहां विहग गण करते गान।।

आदि सृष्टि में प्रभुने प्रथम किया था जहां मनु निर्माण।

जो है आदिम आर्य जाति का वसुन्धरा में मूल स्थान।।

जिसके तुषारमय कन्दर में ऋषि, मुनि पाए वैदिक ज्ञान।

मान सरोवर झील जहां है झरनों की झरझर प्रिय-तान।।

शुभ्र हिमाचल से ही उतरी, सुरसरि गौरव गान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

2 – नदियाँ

जहां त्रिवेणी, गंगा, यमुना, सरस्वती शुचि नदी विशाल।

ब्रह्मपुत्र, सरयू, रावी नद् व्यास, सिन्धु बहतीं सब काल।।

कृष्णा, गोदावरी, नर्मदा, झेलम, सतलज हैं प्रतिपाल।

ले जाती हैं सब तापों को धोकर भागीरथ की चाल।।

पातक रुग्ण नहाकर जिनके पावन जल में हुए निहाल।

पतित-पावनी सरिता कहकर जिन्हें पुकारत भारत-लाल।।

यती, सती जपते हैं जिनके तट पर परमेश्वर की माल।

जिनके तट की समीर-शीतल काटत सब रोगों का जाल।।

जड़, चेतन सब निशिदिन करते जिनके शुद्ध जलपान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

3 – भूमि

महा क्षेत्रफल विस्तृत धरणी पाया पद कृषि-प्रधान आन।

सभी भांति के अन्न, फूल, फल करती कोटि-कोटि प्रदान।।

जिसमें सोने, चांदी, लोहे, तेल, कोयलों की है खान।

बसंत, ग्रीष्म, सुवर्षा, शरद, हेमन्त, शिशिर ऋतुओं का स्थान।।

गौ, गज, अश्व, सिंह खग, नाग सकल पशुओं का है उद्यान।

सोने की चिडिया, पारसमनि कहता जिसको सकल जहान।।

जिसकी गोदी में पलते हैं गोरे, काले एक समान।

यवन, पारसी, ईसाई भी जिसमें पाते हैं सम्मान।।

अनुपम् जिसकी सुन्दरता है कैसे करूं बखान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

4 – प्रकृति

प्रथम जहां पर प्रकृति-नटी की रूप-छाटाप्रिय गई छलक।

प्रथम जहां रवि उदित हुआ ले कीर्ण, रेशमी चमक-दमक।।

प्रथम जहां के नभ-मण्डल पर शीतल शशि भी गई चमक।

प्रथम जहां के वन-उपवन में स्वर्ण चन्द्रिका गई छटक।।

प्रथम जहां के नील-गगन में तारा गण की हुई झलक।

प्रथम जहां पर आदि सृष्टि में जीवों ने खोला स्वपलक।।

प्रथम जहां के बाग-विपिन में चिडियों की थी हुई चहक।

प्रथम जहां की रम्य-वाटिका नव पुष्पों से गई महक।।

प्रथम जहां पर उपजा स्वादु अन्न सकल रस-खान।।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

5 – आर्यत्व

आर्यावर्त व भारतवर्ष सुनाम पुरातन गौरववान।

यवनों द्वारा पाया था उपनाम हिन्द औ हिन्दोस्तान।।

प्रभु से पाकर शुचि शाश्वत प्रिय पूरित वैदिक ज्ञान-विज्ञान।

प्रथम जहां पर आर्य जाति ने किया सकल निज अभ्युत्थान।।

आर्य उन्हें कहते हैं जो हैं धार्मिक, सभ्य, वीर, विद्वान।

आर्य सभ्यता, वैदिक संस्कृति है मानवता का सोपान।।

सत्य, अहिंसा, शांति, एकता है आर्यों का सुमधुर गान।

विश्व बन्धु औ पंचशील की जिसने छेड़ी वैदिक तान।।

और जहां से फैली जग में आर्यों की सन्तान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

6-साहित्य

जहां ईश्वरी-ज्ञान वेद हैं ऋग, यजु, साम, अथर्व महान।

छै दर्शन छै शास्त्र सुब्राह्मण, आरण्य गृह सूत्रादि बखान।।

निरुक्त, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, छन्द ज्ञान सोपान।

सांख्य, योग, वैशेषिक, न्याय, सुमीमांसा, वेदान्त विज्ञान।।

ईश, केन, कठ, प्रश्र, आदि हैं, उपनिषदें आध्यात्मिक-प्राण।

रामायण, महाभारत, गीता, ग्रन्थ-साहब काव्य पुराण।।

शतपथ, गौपथ, अष्टाध्याय, मनुस्मृति है विद्या गुन-धान।

अर्थ, धनुर्गन्धर्व सु आयुर्वेद व वैदिक सम्पति-ज्ञान।।

हैं सत्यार्थ प्रकाश, भाग्य श्रुति, संस्कार विधि गुन-खान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

7 – जगतगुरु

प्रथम भारती ने ही जग को बतलाया शुभ चाल चलन।

जगत दिगम्बर को सिखलाया करना पट-परिधान स्वतन।।

औ सिखलाया निषेध करना भ्रात-बहन में ब्याह लगन।

मांस मीन भक्षण तज, सिखलाया करना सात्विक भोजन।।

सिखलाया गढ़, नगर बसाना और बनाना भव्य-भवन।

सिखलाया शुभ ज्ञान, विज्ञान, कला कौशल भगवान भजन।।

सिखाये वैद्यक, ज्योतिष, गणित, गगन-वाणी का ज्ञान गहन।

और सिखाई मानस-भाषा करके संस्कृत पाठ-पठन।।

प्रथम जगत गुरु भारत ने रचा जलयान विमान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

8 – ऋषि-मुनि

जहां हुए ऋषि अग्रि, वायु, आदित्य, अंगिरा श्रुति ज्ञानी।

जहां हुए ऋषि व्यास, वाल्मिक जिनकी कृति जगती जानी।।

जहां हुए भृगु, वशिष्ट, विश्वामित्र अत्रि ऋषि संज्ञानी।

जहां हुए ऋषि भरद्वाज शुक अगस्त से ऋषि विज्ञानी।।

जहां हुए ऋषि परशुराम, दुर्वासा सम स्वाभिमानी।।

जहां हुए ऋषि पाणिनी, जैमिनी, ऋषि पिपलाद प्रभु ध्यानी।

मार्कण्डेय, मरीची और ऋषि नारद वक्ता नभ-वाणी।

जहां हुए ऋषि कौशिक, शौनक, यमाचार्य सम वर-दानी।।

गौतम, कपिल, कणाद, पतंजलि थे जहां ऋषि विद्वान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

9 – देवगण

जहां हुए हैं ब्रह्मा, विष्णु महादेव प्रिय शिवशङ्कर।

जहां हुए हैं राम, कृष्ण, औ परशुराम से योगीश्वर।।

जहां हुए मनु, याज्ञवल्क्य, जनक वैश्यम्पायन श्रुतिवर।

जहां हुए रुक्मांगद, अर्लक, मयूरध्वज वसुदेव सुघर।।

जहां हुए प्रिय भूप अष्वपति, रन्तिदेव याचक सुखकर।

जहां हुए नृप दिलीप सम गोरक्षक, गोपालक प्रियवर।।

जहां हुए सुतपुत्र महा पृथु, पुरुरघु अज सम नृप सुन्दर।

जहां हुए बलि, हरिश्चन्द्र, शिबि, करण, दधीचि सुदानेश्वर।।

जहां हुए नृप इन्द्र, सन्तनु, पाण्डु महा बलवान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

10-बालगण

जिनके नन्हें मुन्हें बालक भी जग में रणधीर हुए।

ध्रुव, प्रहलाद, श्रवण, लव, कुश, अभिमन्यु, रोहित वीर हुए।।

जिनके सर से रण में पैदा पावक, नीर, समीर हुए।

महारथी भी जिनके आगे भागे और अधीर हुए।।

मात गर्भ में ही सुन महिमा चक्रव्यूह वर-वीर हुए।

बालक होकर भी जो इतने धीर, वीर गम्भीर हुए।।

सनक, सनन्दन, संत, सनातन, नचीकेता मति-धीर हुए।

पूतना को जिसने मारा, वह भी शिशु यदुवीर हुए।।

बाल समय में ही बजरंगी, पद पाया हनुमान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

11 – रामायण

रामचन्द्र की गुण गरिमा को गाती है वसुधा सारी।

चौदह वर्ष रहे वन में थे मात-पिता आज्ञाकारी।।

भ्रातृ-प्रेम के सु पुजारी थे अरु थे पत्नीव्रत धारी।

तन से मन से और कर्म से जो थे सब के हितकारी।।

रावण को मारा विभीषण को देदी लंका सारी।

बाली को हत, बना दिया सुग्रीव अनुज को अधिकारी।।

जाम्बवन्त, अंगद, नल, नील, बजरंग भक्त थे बलधारी।

लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन भी थे राम भ्रात योद्धा भारी।।

तो रामायण की महिमा है गावत विश्व सुजान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

12 – रामराज्य

जात-पात औ छुआछूत का था ना यंू मिथ्या अभिमान।

जैसा कर्म, वर्ण था वैसा, रहा देश में कर्म प्रधान।।

नीच कर्म से राक्षस कहलाता था, रावण ब्राह्मण जान।

ऊँच कर्म से भील वाल्मिकी कहलाता था ऋषि-विद्वान।।

भिल्नी, निषाध से शूद्रों को गले लगाये राम सुजान।

राम-कचहरी में धोबी तक दे सकता था अभय बयान।।

चोर, मूर्ख, खल, नास्तिक, वेश्यागण का न था नामोनिशान।

माँस, मीन, मदिरा क्रय-विक्रय की न कोई गन्दी दुकान।।

राम राज्य में भूखा, नंगा रहा न कोई इन्सान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

13 – महाभारत

जहां कृष्ण ने जरासंध, शिशुपाल, कंस हत लिया स्वराज।

उग्रसेन को गद्दी देकर प्रधान पद पर गये विराज।।

विदुर, सुदामा, कुब्जा, उद्धों से दीनन के थे सिर-ताज।

भरी सभा में सती द्रौपदी की रख दी थी सतित्व-लाज।।

कौरव, पाण्डव आपस में जब बजा दिये थे रण के साज।

कौरव को निज सेना दे सारथी बने ले पाण्डव-काज।।

भीष्म, शकुनी, दुर्योधन औ द्रोण, दुशासन, कर्णधिराज।

प्राण खो गये सर के मारे यमपुर गये शरण यमराज।।

मृत अर्जुन में जान डाल दी थी गीता की तान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

14 – राजेश्वर

जहां हुए हैं राजयोगेश्वर बुद्ध अहिंसा के भगवान।

जिनके अनुयायी हैं अब भी बर्मा लंक चीन जापान।।

जहां हुए हैं अशोक जैसे महा सुभट सम्राट महान।

जिनके पुत्र महेन्द्र हुए हैं धर्म प्रचारक यती जवान।।

साथ संघमित्रा भगिनी ले लंका द्वीप किये प्रस्थान।

जहां हुए हैं चन्द्रगुप्त से शूर सम्राट महा बलवान।।

जहां हुए हैं विक्रम, भोज सु-भूप महा ज्ञानी गुणवान।

जहां हुए हैं आल्हा औ ऊदल से भूप वीर-मलखान।।

जहां हुए हैं भूप कुंवरसिंह क्रान्तिकारी जवान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

15 – संत सुधारक

जहां भर्तृहरि बना राजयोगी कर राज सुखों का त्याग।

जहां शंकराचार्य, जगतगुरु बना, बुझाकर नास्तिक आग।।

जहां अहिंसा परमधर्म का महावीर ने छेड़ा राग।

जहां संत तुलसी, ज्ञानेश्वर, पूरण लिये महा वैराग।।

जहां समर्थ, सूर, नानक, कवि संत हुए ले नव अनुराग।

जहां हुए हैं रामतीर्थ, देवेन्द्रनाथ प्रिय जती पराग।।

जहां राममोहन, रामानुज, तुकाराम थे सु वीत राग।

परमहंस, अरविन्द, विवेकानन्द जलाये ब्रह्म-चिराग।।

जहां हुए गुरु विरजानन्द औ दयानन्द श्रुति-प्राण।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

16 – बसुधैव कुटुम्बकम्

भू-मण्डल भर गये भारती लेकर अपना पोत विमान।

मिश्र सुमात्रा, जावा ऑस्ट्रेलिया में था जिनका संस्थान।।

कोलम्बस से प्रथम गई थी, अमरीका भारत सन्तान।

वहां उलूपी से अर्जुन ने जाकर ब्याह किया था मान।।

धृतराष्ट्र औ पाण्डु ने किये थे विवाह काबुल और ईरान।

रानी हेलेन, गन्धारी आदिक है ये इतिहास प्रमाण।।

सन्धि सिकन्दर ने पुरु से की सेल्यूकस जब चले यूनान।

चन्द्रगुप्त से बेटी ब्याही, दे दहेज में काबुल दान।।

इसी तरह वसुधैव कुटुम्ब है आर्यावर्त महान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

17 – आश्रयदाता

अत्याचारी से बचकर जब विदेशगण ले भागे प्राण।

भारत में वे आए तो आर्यों ने दिया उन्हें सुस्थान।।

आकर ली थी शरण हिन्द में कभी अरब भू की सन्तान।

हजरत खुद कहते थे खुशबू आत हिन्द से मानसवान।।

ईसा इसराइल से आये काशी, पाये वैदिक ज्ञान।

और पारसी आये तो गुजरात नरेश बचाई जान।।

अल्लाफी दल आये तो दाहर ने उन्हें किया सम्मान।

सतरह बार दिया गोरी को पृथ्वीराज ने जीवन दान।।

लेकिन भूला दिये कितनों ने हिन्द के वे एहसान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

18 – संयमी

जहां हुए संयमी पुरुष प्रिय देव तुल्य सद चरित्रवान।

राम, लखन ने पत्निव्रत हित तज दी थी शूर्पनखी शान।।

माता कह कर अर्जुन ने था किया उर्वशी का सम्मान।

कुनाल ने आँखे फुड़वाली रख कर माँ-बेटे का मान।।

पुरु ने बहिन बनाली थी रिपु रुस्तम को रख लाज युनान।

वीर शिवाजी ने मुस्लिम तिय को कह मात किया सम्मान।

दयानन्द ने किसी नारी से यूं छू जाने पर अन्जान।

तीन दिवस तक किया प्रायश्चित करके अनशन धर प्रभु ध्यान।।

जिनके चरित्र बल से ही फिर जागा हिन्दोस्तान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

19 – गुरुजन

जहां हुए गुरु वसिष्ठ, विश्वामित्र, वाल्मिकी गुरु गुणवान।

राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन, लव, कुश, जिनसे बने महान।।

जहां हुए गुरु द्रोणाचार्य महा विद्वान महा बलवान।

कौरव-पाण्डव को जिसने था दिया सकल रणकौशल ज्ञान।।

चाणकने तो चन्द्रगुप्त को बना दिया सम्राट सुजान।

समर्थ गुरु ने वीर शिवा को बना दिया था भूप जवान।।

नानक गुरु गोविन्द बनाये सिक्खों को शूर सन्तान।

विरजानन्द ने दयानन्द को बना दिया गुरु सकल जहान।।

लाजपत ने दिए भगतसिंह क्रान्तिकारी महान्।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

20 – हिन्दुत्व के रक्षक

जहां हुए राणा प्रताप नृप, दानी भामा शाह महान।

और हुए हैं वीर-शिवाजी हिन्दू कुल रक्षक बलवान।।

जिनके आगे पड़ी रह गई फीकी सारी मुगली शान।

बाबर और हुमांयू का रह गया अधूरा अरबी-गान।।

जहांगीर और शाहजहां के भी रह गए तड़प कर प्राण।

अकबर औ औरंगजेब के पूरे नहीं हुए अरमान।

रहा नहीं नादिर, गोरी, गजनी, तैमूर, का नाम निशान।।

औ शक हूण, सिकन्दर भी ले भागे अपनी अपनी जान।।

हरि सिंह नलुवा के भय से भागे अफगान पठान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

21 – ब्रह्मचर्य महिमा

जहां हुए हैं ब्रह्मचर्य के पालक व्रतधारी भारी।

गाता है इतिहास अमर उन सबकी गुण गरिमा सारी।।

शर शैया पर भी उपदेश दिया था भीष्म ब्रह्मचारी।

ब्रह्मचर्य-बल से ही उसने अपनी प्रबल मृत्यु हारी।।

जहां ब्रह्मचारी हनुमान बना बजरंग गदाधारी।

ब्रह्मचर्य-बल से ही उसने रावण की लंगा जारी।।

दयानन्द सम बाल-ब्रह्मचारी से सब दुनियां हारी।

कांप उठा था जिन के आगे कर्णराव सम बलकारी।।

जिसने रथ को रोक, दिया ब्रह्मचर्य-बल का प्रमाण।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

22 – आविष्कार

प्रथम जहां पर हुआ कला-कौशल विज्ञान का आविष्कार।

शकुन्तला का चित्र बनाया था दुष्यन्त करो स्वीकार।।

युग-युग से जो आयुर्वेदिक औषध से करता उपचार।

सुशेन वैद्य ने लक्ष्मण में कर दिया पुनः प्राण संचार।।

रखे हुये थे वैद्य सुभारत के कभी यूनानी सरकार।

और अरब भी संस्कृत से ही किया हिन्दसा ग्रन्थ प्रसार।।

राम, लखन, लव, कुश, अर्जुन वर्षाए शर से जल, अंगार।

लंका से जब चले राम तो विमान पर थे हुए सवार।।

यह मिथ्या अपवाद नहीं देखो कुबेर के यान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

23 – प्राचीन विज्ञान

जहां द्रोण के ब्रह्मशस्त्र थे दिव्य-दृष्टि संजय के कर।

था मोहन का चक्र सुदर्शन, गरुड़यान का नभ चक्कर।।

लेकर अणुमय अस्त्र कृष्ण ने छुपा दिया था सूर्य प्रखर।

जयद्रथ वध के बाद सूर्य को पुनः दिखाया था गिरिधर।।

मय-कृत भव्य-भवन अद्भुत जैसा है आज कहां भू पर।

दुर्योधन ने जिसमें जाकर खाया था चक्कर-टक्कर।।

होती थी नभ वाणी ज्यों रेडियो से सुनते आज खबर।

सागर पर भी नल औ नील ने बांध दिया पुल रामेश्वर।।

जहां विश्वकर्मा सम कारीगर से उठा विज्ञान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

24 – कलीकाल विज्ञान

सतयुग, त्रेता, द्वापर में जब वायुयान उड़ता था मान।

तो कलयुग में भोज राज में उडन खटोला नामक यान।।

एक प्रहर में कर आता था नभ में अस्सी कोस उड़ान।

विक्रम तख्त निकट गाता था एक यन्त्र रामायण गान।।

कुंवरसिंह ने लोह सिपाही इस विधि करवाया निर्माण।

जो बिजली के बल से गोरों से था युद्ध किया घमसान।।

जहां तलपदे ने गत् सदी रचा था सबसे प्रथम विमान।

रेडियो ध्वनी का यन्त्र प्रसार रचा जगदीशचन्द्र ने आन।।

जमुना स्तम्भ, मीनार ताज और बौद्ध गुफा हैं शान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

25 – कला-कौशल्य

ललित कला भारत से प्रथम कहां उपजी कोई बतला।

सतयुग में नृप हरिश्चन्द्र ने लखी नर्तकी-नृत्य-कला।।

त्रेता में रामायण लिख बन गये वालमिक कवि पहला।

द्वापर में सु महाभारत लिख काव्य कला दे व्यास चला।।

कलयुग में दी कालिदास ने नाट्य-कला लिख शकुन्तला।

और भर्थरी के कवित्त, कँुजन से पिंगल छन्द फला।।

साम-वेदीय गानों से संगीत-शास्त्र का प्राण पला।

सरस्वती की वीणा से वादन का मिला विज्ञान-भला।।

भरत मुनी नारद थे जग के प्रथम नायक विद्वान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

26 – संगीतज्ञ

जहां हुए अर्जुन सम गायक, नृत्यकार यह करो प्रतीत।

विराट-कन्या उत्तरा को जिसने सिखलाया नृत्य व गीत।।

सरगम, ताल, तराना, तान, सुस्वर सब रागों में संगीत।।

मृदु बेला वीणा, सितार तबला, मृदंग थे साज सुरीत।।

औ मुरलीधर कृष्ण कन्हैया माधव थे बंशी से प्रीत।

कली में बैजू, तानसेन ने पाई गान कला में जीत।।

जहां हुए हैं सहगल और लता व रफी संगीत सुमीत।

और गया ओंकारनाथ का गान-कला में जीवन बीत।।

विष्णु दिगम्बर भीमसेन ने फूकी सुरों में जान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

27 – कलीकाल कविगण

कलयुग में भी कालिदास, तुलसी सम हुए महा कविवर।

सूरदास, भूषण, रसखान बिहारी, गंग, कविर सुर नर।।

अमीचन्द, केशव सम कविवर, भारतेन्दु कवि हृदय सुघर।

और विश्व कवि रविन्द्रनाथ गये करके निज नाम अमर।।

जहां हुई मीरा व सुभद्रा कवयित्री जिस धरती पर।

हुए भारती, बंकिम, मैथिलिशरण राष्ट्र कविवर प्रियवर।।

नरसिं वचन कवि पंत, निराला, नाथूराम, उदयशंकर।

जहां हुए ऊर्दू के कवी गालिब और इकबाल बसर।।

है प्रकाश कविरत्न, पथिक, सुखलाल, प्रदीप सुजान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

28 – हुतात्माएँ

जिस पर जयमल फत्ता, गोरा, बादल ने दे दी निज जान।

दुर्गादास, अमरसिंह, तेग बहादुर, किये निछावर प्राण।।

बाल हकीकत ने सिर कटवाया पर तजी न धार्मिक आन।

दीवारों में चुना दिये तन फतेह, जोरावर सन्तान।।

गरम लोह से बन्दा ने खिंचवा कर खाल हुये कुर्बान।

मतीराम ने आरी से तन फड़वाया रख धार्मिक मान।।

सम्भाजी ने खिंचवाकर निज जीभ दिया जिस पर बलिदान।

जिस पर निज आंखे फुड़वाई पृथ्वीराज चौहान महान।।

जौहर की ज्वाला में जल सतियों ने बचाई शान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

29 – शहीदगण

जिस पर हुए शरीद हजारों बूढे, बच्चे और जवान।

वीर भगतसिंह ने तो फांसी पर चढ़कर दी बली महान।।

खुदीराम प्रिय राजगुरु, सुखदेव चढ़े शूली पर आन।

और चन्द्रशेखर आजाद व बिस्मिल चढ़ा दिये निज प्राण।।

रास बिहारी, हरदयाल औ नन्दकुमार हुए कुर्बान।

ऊधमसिंह, राणाडे, तांत्या, नाना लाहिड़ी ने दी जान।।

लालाजी, बिन्दाबाबा, धन्धु व गणेश दिये बलिदान।

प्राण निछावर किये अनेकों करके कालापानी-पान।।

जलिंयावाला बाग शहीदी का है तीर्थ स्थान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

30 – शहीदेधर्म और देश

दयानन्द ने विष पीकर जिस भारत की आँखे खोली।

श्रद्धानन्द ने देश-धर्म हित सीने में खाई गोली।।

लेखराम ने छूरे खा, निज खंू से भर दी रिपु झोली।

राजपाल औ रामचन्द्र की चली शहीदों में डोली।।

विगत सतावन में लक्ष्मी ने निज खँू से खेली होली।

हुई निजाम औ गोआ में भी अमर शहीदों की टोली।।

इधर बयालिस की बलियों से अंग्रेजी दुनियां डोली।

और छियालिस में वंगी-माँ ने खंू से रंगी चोली।।

सैंतालिस में दिये सिन्ध, पंजाब बहुत बलिदान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

31 – स्वराज नायक

जहां हुये हैं दयानन्द सम स्वराज्य उद्घोषक महान्।

उनके पीछे श्रद्धानन्द जैसे हुए सैकड़ों बलिदान।।

वासुदेव औ तिलक, गोखले, नौरूजी स्वातन्त्र्य प्राण।

हुए मालवी, केशवचन्द्र स्वदेश भक्त आजाद सुजान।।

महेन्द्र, भाई परमानन्द व सावरकर विप्लवी महान।

हुए राज गोपालाचारी, कृष्णन, मेनन सुर विद्वान।।

जहां हुए हैं लौह-पुरुष सरदार पटेल सुभट सन्तान।

जहां हुए हैं मृत्युंजय नेताजी सुभाष वीर जवान।।

जहां हुए राजेन्द्र राष्ट्रपति, शास्त्रीसम प्रधान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

32 – विभिन्न नेतागण

जहां हुये जगजीवन पन्त, देसाई, नन्दा वीर जवान।

अम्बेडकर, चौहान, चौधरी, शास्त्री, विनोबा कृत भू-दान।।

कृपालानी जयप्रकाश, गुरुजी, करपात्री, टण्डन जन प्राण।

नारायण स्वामी, श्री गुप्त व नरेन्द्र सत्याग्रही-प्रधान।।

वीर लोहिया, प्रकाश वीर, विनायक, बुद्धदेव गुणवान।

रामचन्द्र देहलवी, गंगाप्रसाद, वेदानन्द-सुजान।।

हुए सातवलेकर, जयदेव, सु रघुनन्दन वैदिक विद्वान।

आत्माराम, दर्शनानन्द व हंसराज, गुरुदत्त-महान।।

हुए मुखर्जी तारासिंह औ आत्मानन्द प्रति-प्राण।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

33 – देशरत्न

जहां हुए हैं ईश्वरचन्द्र, विद्यासागर जैसे कर्णधार।

शरतचन्द्र औ प्रेमचन्द्र से उपन्यास के श्री औतार।।

हुए सुदर्शन, जयशंकर सम कथाकार प्रिय नाटककार।

पृथ्वीराज कपूर सु अभिनेता से परिचित है संसार।।

जहां पद्मश्री से भूषित हैं नृत्य-नायिका भारत नार।

और सु छबि-दिग्दर्शक शान्ताराम को जानत है संसार।।

तेनजिंग धनराज तेंडुलकर विश्व में पाए ख्याति अपार।

दारासिंह है पहलवान, किंगकोंग को जिसने दिया पछार।।

जहां हुए दानी बिरला, टाटा, नानजी, धनवान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

34 – भूमण्डल प्रचार

और जहां से धर्म प्रचारक किये विदेशों को प्रस्थान।

गये विवेकानन्द अमरिका लेकर के वेदान्त-विज्ञान।।

गए जर्मनी सत्यदेव श्री उसरबुद्ध जी इंग्लिशतान।

रुचीराम ने वैदिक नाद गुंजाया जाकर अरबिस्तान।।

गए भवानी दयाल स्वामी अफ्रीका लेकर श्रुति-ज्ञान।

गए मौरिशस स्वामी स्वतंत्रानन्द, आनन्द भिक्षुक प्राण।।

भरद्वाज, मणिलाल जैमिनी, ध्रुवानन्द स्वामी विद्वान।

गए अभेदानन्द व आनन्द स्वामी चन्द्रानन्द सुजान।।

गए अयोध्याप्रसाद अमरीका में दिये व्याख्यान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

35 – सतियां

सुनो जरा अब ललनाओं की गौरवमयी कथा सारी।

कैसी-कैसी हुई सती पतिव्रता भारत-नारी।।

जहां हुई है प्रथम सती रानी तारामती सन्नारी।

जहां हुई सीता, सावित्री, अनुसूया पतिव्रत प्यारी।।

एक ही पति के साथ जिन्होंने अपनी सभी उमर-वारी।

ले जाकर भी पा न सका जिसको रावण सम व्यभिचारी।।

हार गया जिसके आगे यमराज दूत सम बलधारी।

जहां हुई हैं सती सुकन्या, दमयन्ती और गन्धारी।।

विश्व नारी अब भी करती उन सतियों पर अभिमान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

36 – माताएँ

कौशिल्या, कैकेई और सुमित्रा थी जननी सुर-खान।

जन्म दिये श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन पुत्र-महान।।

जग जननी सीता ने पैदा किये महा लव, कुश सन्तान।

मात देवकी से तो जन्मे कृष्णचन्द्र भगवान सुजान।।

कुन्ती, माद्री ने तो पैदा किये सु पाण्डव वीर जवान।

धर्म युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव, कर्ण बलवान।।

और सुभद्रा के अभिमन्यु को जानत है सकल जहान।

मात अन्जनी ने तो पैदा किया पवन से सुत हनुमान।।

और जीजामाता ने किया शिवाजी का निर्माण।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

37 – विदुषियां

जहां हुई लोपा मुद्रा सी महा विदुषी श्रुति प्यारी।

विदुला, अंशुमती, गार्गी, मैत्रेयी थी विदुषी नारी।।

अरुन्धती, मदालसा, सुलभा चतुर विदुषी थी सारी।

औ लिलावती गणित कला की हुई विदुषी महतारी।।

मण्डन मिश्रकी पत्नी से शास्त्रार्थ किये शंकर भारी।

जीत गई मण्डन पत्नी अरु शंकर ने बाजी हारी।।

हुई सत्यभामा, रुक्मिन, लक्ष्मी, राधा जग में न्यारी।

सत्यवती, उर्मिला व विद्याधरी निपुण थी सन्नारी।।

राजदुलारी मीरा हुई जहां जोगन भागवान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

38 – वीरांगनाएँ

जानत जग काली, दुर्गा सी रण-चण्डी मरदानी को।

रमणी महा अहिल्या बाई झांसी की महारानी को।।

कौन नहीं जानत है पन्नादाई राजस्थानी को।

कौन नहीं जानत है दुर्गावती महा क्षत्राणी को।।

कौन नहीं जानत है महा सती पद्मिनी कहानी को।

कृष्णकुमारी, हांड़ीरानी, मैना की कुर्बानी को।।

वीरांगना झलकारीबाई लक्ष्मीबाई सयानी को।

कमला, सरोजिनी, लक्ष्मीनाथन सी देश दिवानी को।।

गार्गी मैत्रेयी सुलभा को जानत सकल जहान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

39 – तीर्थस्थान

जहां सुशोभित बड़े-बड़े मठ-मन्दिर पावन तीर्थस्थान।

गिरि विंध्याचल, गौरीशंकर, गोवर्धन, कैलाश उत्तान।।

गंगोत्री, हरिद्वार, बनारस, काशी, गया, प्रयाग-महान।

गुफा-अजन्ता, कलकत्ता, मदुरा, बम्बई, हैं कीर्तिवान।।

पूरब में है जगन्नाथ, है सोमनाथ पश्चिम में आन।

उत्तर में है बद्रिनाथ, दक्षिण में है रामेश्वर-मान।।

नगर अयोध्या, गोकुल, मथुरा, वृन्दावन भूतल भगवान।

पुष्कर पाटलीपुत्र व दिल्ली इन्द्रप्रस्थ कुरुक्षेत्र महान।।

नासिक आग्रा गढ़ चित्तौड़ ग्वालीयर आलीशान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।

 

40 – प्रान्त

जहां महा काश्मीर हमारा है भूतल पर स्वर्ग समान।

बिहार, उत्तर, मध्य प्रदेश सुप्रांत जहां शोभा की खान।।

वीर प्रांत है महाराष्ट्र, पंजाब और प्रिय राजस्थान।

स्वर्ण भूमि बंगाल जहां है अरु गुजरात जहां धनवान।।

कर्नाटक मदरास, आन्ध्र हैं दक्षिण में प्रिय प्रान्त महान।

और जहां आसाम प्रांत उडिसा मन मोहक सुस्थान।।

बर्मा, सिंगापुर, रंगुन, नेपाल, सिन्ध, तिब्बत भूटान।

अखण्ड भारत माता के ही शुद्ध अंग हैं आलीशान।।

तो ”जगदीश प्रवासी“ गा नित, भारत गौरव-गान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।